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خط ۲۸۱: |
خط ۲۸۱: |
| ===سایر اشعار=== | | ===سایر اشعار=== |
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| ==== نعت حسین (ع) ==== | | ====نعت حسین (ع)==== |
| {{شعر}} | | {{شعر}} |
| {{ب| رخشنده گوهر صدف مصطفی، حسین|تابنده اختر فلک مرتضی، حسین }} | | {{ب| رخشنده گوهر صدف مصطفی، حسین|تابنده اختر فلک مرتضی، حسین }} |
خط ۳۰۲: |
خط ۳۰۲: |
| {{پایان شعر}} | | {{پایان شعر}} |
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| ==== ''' شب عاشورا''' ==== | | ==== شب عاشورا ==== |
| {{شعر}} | | {{شعر}} |
| {{ب| فریاد از آن شبی که به فرداش شد شهید|سلطان دین حسین به کام دل یزید }} | | {{ب| فریاد از آن شبی که به فرداش شد شهید|سلطان دین حسین به کام دل یزید }} |
خط ۳۵۳: |
خط ۳۵۳: |
| {{پایان شعر}} | | {{پایان شعر}} |
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| ==== ''' توبه حرّ''' ==== | | ==== توبه حرّ ==== |
| {{شعر}} | | {{شعر}} |
| {{ب| بستند صف به عرصهی میدان چو اشقیا|غُرّید طبل جنگ و غریوید کرّنا }} | | {{ب| بستند صف به عرصهی میدان چو اشقیا|غُرّید طبل جنگ و غریوید کرّنا }} |
خط ۴۱۱: |
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| {{ب| باشد عجب که باز برون آورد گیاه|خاکی که ریختند در او خون بیگناه <ref>دیوان فدایی؛ ص 57.</ref> }} | | {{ب| باشد عجب که باز برون آورد گیاه|خاکی که ریختند در او خون بیگناه <ref>دیوان فدایی؛ ص 57.</ref> }} |
| {{پایان شعر}} | | {{پایان شعر}}<br /> |
| {| class="" style="margin: 0 auto; "
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| | class="b" |<span class="beyt"> شد نوبت قتال چو بر آل مصطفی</span>
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| | class="b" |<span class="beyt">پیراهن صبوری افلاک شد قبا </span>
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| |-
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| | class="b" |<span class="beyt"> جوش وُحوش زلزله افکند بر زمین</span>
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| | class="b" |<span class="beyt">شورِ طیور غلغله انداخت بر هوا </span>
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| |-
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| | class="b" |<span class="beyt"> از دیدهی ثوابت و سیّاره خون چکید</span>
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| | class="b" |<span class="beyt">پشتِ سپهر گشت ز بار الَم دو تا </span>
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| |-
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| | class="b" |<span class="beyt"> از تند بادِ حادثه در گلشن بتول</span>
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| | class="b" |<span class="beyt">وز تیشهی ستیزه به گلزار مرتضی </span>
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| |-
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| | class="b" |<span class="beyt"> سروی به سر درآمد و سرداد بر سنان</span>
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| | class="b" |<span class="beyt">نخلی ز پا فتاد و کشید از میانه پا </span>
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| |-
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| | class="b" |<span class="beyt"> بس لالهها که از چمن جعفر و عقیل</span>
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| | style="width:2em;" |
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| | class="b" |<span class="beyt">بر باد رفت از ستم صَرصَر <ref>صرصر: باد سخت و سرد.</ref> جفا </span>
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| |-
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| | class="b" |<span class="beyt"> کردند سربهسر همه آن سروران دهر</span>
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| | style="width:2em;" |
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| | class="b" |<span class="beyt">سرها برای سرور دنیا و دین فدا </span>
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| |-
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| | class="b" |<span class="beyt"> از خون سرخ تازه جوانان سبز خط</span>
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| | style="width:2em;" |
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| | class="b" |<span class="beyt">در بوستان «ماریه» رویید لالهها </span>
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| |-
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| | class="b" |<span class="beyt"> باشد عجب که باز برون آورد گیاه</span>
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| | style="width:2em;" |
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| | class="b" |<span class="beyt">خاکی که ریختند در او خون بیگناه <ref>دیوان فدایی؛ ص 57.</ref> </span>
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| |}
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| {{شعر}} | | {{شعر}} |
| {{ب| لب تشنهای، شکسته دلی، خسته پیکری|واماندهای، اسیر غمی، درد پروری }} | | {{ب| لب تشنهای، شکسته دلی، خسته پیکری|واماندهای، اسیر غمی، درد پروری }} |
خط ۴۶۳: |
خط ۴۲۴: |
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| {{ب| نه لشکر و سپاه نه یار و نه دادخواه|نه قاسم و نه عون و نه عباس و اکبری <ref> همان؛ ص 66.</ref> }} | | {{ب| نه لشکر و سپاه نه یار و نه دادخواه|نه قاسم و نه عون و نه عباس و اکبری <ref> همان؛ ص 66.</ref> }} |
| {{پایان شعر}} | | {{پایان شعر}}<br /> |
| {| class="" style="margin: 0 auto; "
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| | class="b" |<span class="beyt"> لب تشنهای، شکسته دلی، خسته پیکری</span>
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| | style="width:2em;" |
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| | class="b" |<span class="beyt">واماندهای، اسیر غمی، درد پروری </span>
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| |-
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| | class="b" |<span class="beyt"> با غم سرشتهای، ز سر و جان گذشتهای</span>
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| | style="width:2em;" |
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| | class="b" |<span class="beyt">مظلوم سروری، شهِ بیخیل و لشکری </span>
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| |-
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| | class="b" |<span class="beyt"> محصور اهل کینه و ممنوع آب و نان</span>
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| | style="width:2em;" |
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| | class="b" |<span class="beyt">فرّخ شهی، مَلَک خَدَمی، چرخ چاکری </span>
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| |-
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| | class="b" |<span class="beyt"> تنها چو مانده در صف میدان کربلا</span>
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| | style="width:2em;" |
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| | class="b" |<span class="beyt">با حلق خشک و چشم تر و گونهی زری </span>
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| |-
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| | class="b" |<span class="beyt"> گفتا دگر کی است که یاری کند به ما؟</span>
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| | style="width:2em;" |
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| | class="b" |<span class="beyt">از هیچ سو جواب نیامد ز یاوری </span>
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| |-
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| | class="b" |<span class="beyt"> نه لشکر و سپاه نه یار و نه دادخواه</span>
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| | style="width:2em;" |
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| | class="b" |<span class="beyt">نه قاسم و نه عون و نه عباس و اکبری <ref> همان؛ ص 66.</ref> </span>
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| |}
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| {{شعر}} | | {{شعر}} |
| {{ب| آه از دمی که با تن تنها شه بشر|سلطان دهر و خسرو بحر و خدیو بر }} | | {{ب| آه از دمی که با تن تنها شه بشر|سلطان دهر و خسرو بحر و خدیو بر }} |
خط ۵۱۸: |
خط ۴۵۲: |
| {{ب| بر تشنگیش تیغ نکرد آب خود دریغ|کس مهربان نبود بر آن تشنه لب چو تیغ <ref>همان؛ ص 68.</ref> }} | | {{ب| بر تشنگیش تیغ نکرد آب خود دریغ|کس مهربان نبود بر آن تشنه لب چو تیغ <ref>همان؛ ص 68.</ref> }} |
| {{پایان شعر}} | | {{پایان شعر}} |
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| {{شعر}} | | {{شعر}} |
خط ۶۱۷: |
خط ۵۵۲: |
| | class="b" |<span class="beyt">باید نخست ترکِ دل و جان و سر کند <ref>همان؛ ص 110 و 111.</ref> </span> | | | class="b" |<span class="beyt">باید نخست ترکِ دل و جان و سر کند <ref>همان؛ ص 110 و 111.</ref> </span> |
| |} | | |} |
| | | <br /><br /> |
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| {{شعر}} | | {{شعر}} |
| {{ب| ای خَم قد سپهر ز بارِ عزای تو|سرهای سروران جهان زیر پای تو }} | | {{ب| ای خَم قد سپهر ز بارِ عزای تو|سرهای سروران جهان زیر پای تو }} |
خط ۶۵۴: |
خط ۵۸۸: |
| {{ب| شاها فدائیان تو را من فداییم|ای صد هزار همچو «فدایی» فدای تو <ref>همان؛ ص 154.</ref> }} | | {{ب| شاها فدائیان تو را من فداییم|ای صد هزار همچو «فدایی» فدای تو <ref>همان؛ ص 154.</ref> }} |
| {{پایان شعر}} | | {{پایان شعر}} |
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| {{شعر}} | | {{شعر}} |